टीवी और वीडियो का शरई आप्रेशन
दौर ए हाज़िर में नित नई इजादात से जहाँ बहुत से फ़वाइद हासिल किए गए हैं वहीँ बाज़ इजादात के बुरे असरात ने मुस्लिम मुआशरे के माहौल को बिगाड़ कर रख दिया है।
केबल,dish, वी सी आर,वीडियो और टेलीविज़न ऐसी ही इजादात से हैं जिनके मर्ज़ असरात ज़हर ए क़ातिल की तरह ख़ास व आम की रगों में तेज़ी से फ़ैल रहे हैं।
मुशाहिदे में आ रहा है कि बाज़ नामनिहाद इस्लाम के ठेकेदार दीन की तब्लीग और महफ़िल ए नात की आड़ में टीवी और वीडियो के इस्तेमाल को जाइज़ क़रार देने की सई ला हासिल में मसरूफे अमल हैं।
यहाँ तक की उन लोगों ने इस लाअनत को जाइज़ क़रार देने के लिए अहलेसुन्नत की अज़ीम ख़ानक़ाहो को भी मुलव्विस करना शुरू कर दिया है।
हैरत इस बात की है कि कल तक तो यही लोगों के नज़दीक तस्वीर के अलावा टीवी और वीडियो का इस्तमाल सैय्यदी आलाहज़रत क़ुद्स सिर्रहुल अज़ीज़ी की तहक़ीक़ की रोशनी में हराम व नाजायज़ था। आज यही लोग किस मुँह से टीवी और वीडियो के इस्तेमाल को जाइज़ करार दे रहें।
ऐसी ख़तरनाक सूरतहाल के पेश ए नज़र आलाहज़रत मुजद्दिद ए दीन ओ मिल्लत अश्शाह इमाम अहमद रज़ा खान क़ादरी बरक़ाती रज़िअल्लाहु अन्हु की तालीमात की रोशनी में शेख़ उल इस्लाम वल् मुस्लिमीन नबीर ए आलाहज़रत जानशीन ए हुज़ूर मुफ्ती ए आज़म हिन्द सैय्यदी मुर्शीदी हुज़ूर ताजुश्शरीअह हज़रत अल्लामा मुफ्ती अख़्तर रज़ा ख़ान क़ादरी अज़हरी दामा ज़िल्ल अलैना की तहक़ीक़ व तहरीर ज़ेर ए नज़र किताब "टीवी और वीडियो का आप्रेशन व शरई हुक़्म" क़ारईन के नज़्र की जा रही है। क़ारईन से अपील है कि वोह गैर जानिबदाराना नज़र से मुताअला करें और न सिर्फ अपने आमाल की दुरुस्तगी करें बल्कि मुस्लिम मुआशरे को भी टीवी और वीडियो की तबहकारियो से बचाने आख़री हद तक कोशिश करें।अल्लाह ताअला से दुआ है हुज़ूर सैय्यदी आलमﷺ के तवस्सुल से और सैय्यदना गौस ए आज़म रज़िअल्लाहु ताअला अन्हु और सैय्यदी आलाहज़रत रज़िअल्लाहु अन्हु के सदक़ा ए जलीला से मुर्र्शीदी हुज़ूर ताजुश्शरीअह रहीमउल्लाह अलैह के दर्जात बुलन्द फरमाये और हज़रत का रूहानी फैज़ अहलेसुन्नत वल जमाअत पर हमेशा जारी और सारी फरमाए।
अमीन
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